आशाराम बापू
जप के 20 नियम – स्वामी शिवानन्द सरस्वती
स्वामी शिवानन्द सरस्वतीजी – जप के 20 नियम …

जो इस प्रकार हैं ;
- जहाँ तक सम्भव हो वहाँ तक गुरू द्वारा प्राप्त मंत्र की अथवा किसी भी मंत्र की अथवा परमात्मा के किसी भी एक नाम की 1 से 200 माला जप करो।
- रूद्राक्ष अथवा तुलसी की माला का उपयोग करो।
- माला फिराने के लिए दाएँ हाथ के अँगूठे और बिचली (मध्यमा) या अनामिका उँगली का ही उपयोग करो।
- माला नाभि के नीचे नहीं लटकनी चाहिए। मालायुक्त दायाँ हाथ हृदय के पास अथवा नाक के पास रखो।
मातृ-पितृ पूजन दिवस (Parent’s Worship Day) 14th February [NEW SHORT FILM]
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Indiraji (Sarkari Adhyapak) “Bapuji Par Jhuthe Aarop Lagavane Ke Shadayantra Ka Pardafash”
धन्य है आपकी गुरुभक्ति !
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संत आशाराम बापू जी के भक्तो का कहेना ही क्या !
जिस सड़क से सदगुरुदेव भगवान की गाड़ी गुजरी उस सड़क को भी प्रणाम !
गुरु पुष्यामृत योग (16 जनवरी दोपहर 1:14 से 17 जनवरी सूर्योदय तक)
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‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्तप्राय और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
देवगुरु बृहस्पति ग्रह का उद्भव पुष्य नक्षत्र से हुआ था, अत: पुष्य व बृहस्पति का अभिन्न संबंध है | पुष्टिप्रदायक पुष्य नक्षत्र का वारों में श्रेष्ठ बृहस्पतिवार (गुरुवार) से योग होने पर वह अति दुर्लभ ‘गुरुपुष्यामृत योग’ कहलाता है |
गुरौ पुष्यसमायोगे सिद्धयोग: प्रकीर्तित: |
शुभ, मांगलिक कर्मों के संपादनार्थ गुरु-पुष्यामृत योग वरदान सिद्ध होता है |
इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं |